Friday, 21 October 2011

मुश्किल

दिन मुश्किल ही सही ,
दिल उदास ही सही
आंख नम होने ना देंगे रात भारी ही सही
राह लम्बी ही सही
सपनो को सोने ना देंगे
दुश्मन मज़बूत ही  सही
दोस्त कम ही सही
हौसले कम होने ना देंगे
उम्मीद कम ही सही
रौशनी गुम ही सही
रुमाल भिगोने ना देंगे
हर लम्हा जियेंगे
जोश और जूनून से 
जियेंगे जी भर
ज़िन्दगी ढोने ना देंगे

3 comments:

  1. बेहतरीन कविता। हर कविता के साथ आपके शब्दों की धार पैनी होती जा रही है। दीपा जी को भविष्य में उम्दा लेखन के लिए हार्दिक शुभकामनाँए।

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , आभार.



    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.

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