Wednesday, 19 October 2011

बचपन..

माँ की लोरी,
परियों की कहानी,
ख़्वाबों की दुनिया,
कड़ी धुप का मीठा एहसास,
पानी में छप-छप कूदना,
बहानों का खजाना,
नक़ल की मस्ती,
धमाचौकड़ी ,
फूटे घुटने,
.मिक्स का शौक,
पापा की हिदायतें,माँ का बचाना...
सब यही चाहते हैं बड़े होकर,
लौट आये बचपन!

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