Friday 21 October 2011

मुश्किल

दिन मुश्किल ही सही ,
दिल उदास ही सही
आंख नम होने ना देंगे रात भारी ही सही
राह लम्बी ही सही
सपनो को सोने ना देंगे
दुश्मन मज़बूत ही  सही
दोस्त कम ही सही
हौसले कम होने ना देंगे
उम्मीद कम ही सही
रौशनी गुम ही सही
रुमाल भिगोने ना देंगे
हर लम्हा जियेंगे
जोश और जूनून से 
जियेंगे जी भर
ज़िन्दगी ढोने ना देंगे

Wednesday 19 October 2011

बचपन..

माँ की लोरी,
परियों की कहानी,
ख़्वाबों की दुनिया,
कड़ी धुप का मीठा एहसास,
पानी में छप-छप कूदना,
बहानों का खजाना,
नक़ल की मस्ती,
धमाचौकड़ी ,
फूटे घुटने,
.मिक्स का शौक,
पापा की हिदायतें,माँ का बचाना...
सब यही चाहते हैं बड़े होकर,
लौट आये बचपन!

Saturday 8 October 2011

साथ

कोई पहचाना सा चेहरा,
हमें भीड़ में दिखा था|
कोई मरासिम नहीं था,
बस थोड़ी दूर साथ चला था|

दूर वफ़ा के साहिल थे,
उसके हम कहाँ काबिल थे|
ना उम्मीद थी ना गिला था,
बस थोड़ी दूर साथ चला था|

हमने कुछ कहा भी नहीं,
उसने कुछ पुछा भी नहीं|
शायद वो सब जानता था,
इसलिए खामोश खड़ा था|
बस थोड़ी दूर साथ चला था…

कोई गम तो नहीं रुखसत का,
कोई सबब भी नहीं कुर्बत का|
बस मिल गयी थी लकीरें,
लकीरों में मिलना लिखा था|
बस थोड़ी दूर साथ चला था…

मुन्तजिर नहीं किसी आहट का,
कच्चा सा धागा है चाहत का|
मैं डूब गया हूँ वो भी ढला था|
बस थोड़ी दूर साथ चला था|

Tuesday 4 October 2011

जीने की वजह

                                         
कुछ कहनेके लिए जब लब्ज़ थरथराते है ,
तब कभी शब्द साथ छोड़ जाते है .......
अनकही दास्ताने अधूरीसी लगती हो कभी
तो आँखें भी अफ़साने कह जाती है......
दास्तानें जो नहीं लिखी गयी किताबोंमें
कैद होकर किसीके दिलमें भी रह जाती है......
ना कह पाने की क्या मज़बूरी थी क्या पता ????
बस ये किस्से किसीके जीने की वजह बन जाते है.............