Tuesday, 27 September 2011

मेरी डायरी ...

मेरी डायरी का वो पन्ना ...

उस पर मैंने हिसाब लिखा था मेरी ख़ुशी का ...

उस पर याद करके लिखे थे उनके नाम

जिसने मेरी जिंदगीका ख़ुशीका तार्रुफ़ करवाया था ....

बस उनके नाम मैंने नहीं लिखे

जिसने मुझे गमका मतलब समजाया.....

क्योंकि ये मेरी चाहत थी

जब ये डायरीका पन्ना खोलूं

तब मेरी ख़ुशीके सारे वजूद और कारण

मुझे इधर हँसते हुए मिल जाए ...

गम कोसो दूर रहे .......

आज मेरा वो पन्ना हवाकी एक लहरके साथ

खुली खिड़कीसे उड़कर कहीं बहकर उड़ गया .....

एक पल ...

एक पल तो लगा यूँ की

वो मेरी सारी खुशियाँ लेकर चला गया ........

पर उसके बाद एक खाली पन्ना था ....

मैंने उस पर एक नयी नज़्म लिखनी शुरू ...

No comments:

Post a Comment